उत्तम व्यक्तित्व आकर्षक एवं प्रभावी होता है। व्यक्तित्व-निर्माण के साथ शरीर के स्वास्थ्य का गहन सम्बन्ध है। शरीर और वस्त्रों की स्वच्छता व्यक्तित्व को सँवारती है। मुखशोधन द्वारा मुख की दुर्गन्धि दूर करने का उपाय करना अत्यन्त आवश्यक होता है। वस्त्र एवं वेशभूषा मनुष्य के व्यक्तित्व को मनोहारी बना देती है। मनुष्य के सारे प्रसाधन मधुर मुस्कान के बिना फीके ही नहीं, भयावह प्रतीत होते हैं। विनम्रता और मधुरता चरित्र को सुशोभित कर देते हैं। उदारता एवं परोपकार-वृत्ति व्यक्ति को लोकप्रिय बना देते हैं। उन्मुक्त भाव से हँसना और हँसना वातावरण को सुरम्य बना देता है। उन्मुक्त हँसी मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को बढा देती है तथा ऊर्जा को उत्पन्न करती है। सत्य, प्रेम, करुणा, मुदिता और मैत्री को प्रतिष्ठित करने से व्यक्तित्व उद्भासित हो जाता है। विवेकशील पुरुष विचार, वचन और व्यवहार से अपने व्यक्तित्व को सँवारने में सदा प्रयत्नशील रहता है। एक उत्फुल्ल व्यक्तित्व खिले हुए तथा सौरभ बिखेरते हुए पुष्प की भाँति उत्तमता का प्रेरक होता है।
व्यक्तित्व के निर्माण में जहाँ एक ओर सत्य प्रेम, करुणा, मुदिता, मैत्री, साहस, धैर्य, न्याय आदि सद्गुणओं एवं मानवीय मूल्यों की प्रस्थापना आवश्यक है, वहां दूसरी ओर विनम्यता (लोच) होना भी अत्यन्त आवश्यक होता है। प्रायः अनेक लोग सिद्धान्तवादी बनकर कठोर एवं दुराग्रही हो जाते हैं और अपने व्यवहार से चारों ओर अनावश्यक विरोध एवं शत्रुता का वातावरण उत्पन्न कर लेते हैं। सत्याग्रह के साथ प्रेमरस का पुट न होने पर दुराग्रह हो जाता है। व्यक्ति का दुराग्रह समझौता इत्यादि समाधान के द्वार बन्द करके लक्ष्य को ही परास्त कर देता है। सिद्धान्तों और नियमों का उद्देश्य मानव-कल्याण होता है किन्तु अनेक मनुष्य प्रायः सिद्धान्तवादी होने का अहंकार करे लगते हैं तथा अहंकार उन्हें विनम्य नहीं होने देता। अहंकार में घृणाभाव अन्तर्निहित रहता है तथा अहंकारग्रस्त व्यक्ति दूसरों को तुच्छ समझने लगता है। विवेकशील पुरुष में चारित्रिक दृढता के साथ विनम्यता का सामंजस्य होता है। यह एक निर्विवाद तथ्य है कि मनुष्य परिवार और पड़ोस में सामंजस्य स्थापित करके स्वयं भी सामंजस्य का पाठ सीख सकता है। परिवार में अभी एक-दूसरे के सुख के लिए प्रयत्नशील रहकर, अनुशासन, त्याग और सेवा का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। परस्पर प्रेम ही परिवार में सुरक्षा और शान्ति के वातावरण का निर्माण करता है। सुगठित संयुक्त परिवार सभी के लिए एक वरदान होता है। पारिवारिक जीवन व्यक्तित्व में विनम्यता का समावेश कर देता है।
व्यक्ति-निर्माण में विनम्यता के अतिरिक्त दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की उदारता, सहृदयता एवं सरनशीलता होना भी आवश्यक होता है अन्यथा मनुष्य बात-बात में रुष्ट होने एवं चिढने लगता है। चिढने और चिढानेवाला मनुष्य काम को बिगाड़ देने के अतिरिक्त स्वयं दुखी होकर दूसरों को दुखी कर देता है। चिढना और चिढाना भयंकर देष है। चिढनेवाला व्यक्ति मूर्ख तथा चिढानेवाला व्यक्ति दुष्ट होता है। बात-बात में मन को दुखी करनेवाला मनुष्य जीवन में न कोई ठोस उपलब्धि कर सकता है और न कभी सुखी रह सकता है। यह व्यक्तित्व का व्यावहारिक पक्ष है।
परिवार और पड़ोस की भाँति मित्रों के साथ सुमधुर संबंध रखना मनुष्य के जीवन में सौख्य एवं संबल का समावेश कर देता है। स्वार्थी एवं कपटी मनुष्य की मित्रता सहसा विलुप्त हो जाती है तथा ईर्ष्यालुप्त हो जाती है तथा ईर्ष्यालु एवं अकारण क्रोधी मनुष्य के साथ मैत्री चिरस्थायी नहीं होती। सत्य और प्रेम के तत्त्व को समझनेवाले वर पुरुष ही मित्रता के पवित्र संबंध का निर्वाह कर सकते हैं। उदार स्वभाववाले सन्मित्र फलच्छायासमन्वित सुतरु के सदृश सदा सुलभ एवं सुखद होते हैं।
व्यक्ति में अभ्यास द्वारा आनन्द-वृत्ति एवं आत्ममन्गता के भाव का विकास होने पर वह निरन्तर प्रसन्न रहकर अनावश्यक तनाव से मुक्त रह सकता है। मनुष्य कार्यभार के कारण प्रायः अति गंभीर रहकर व्यर्थ ही जीवन को एक भार बना लेता है। प्रकृति मनुष्य को सदा सुप्रसन्न रहने का संदेश देती है। पुष्पों के रस का आस्वादन करता हुआ मदमत्त भ्रमर संगीतमय गुंजन करता है, उमंगभरा हरिण वन में चित्ताकर्षक चौकड़ी मारता है, आनन्दमग्न मयूर वन में मनोहरी नृत्य करता है, विनोदकारी सिंहशावक भी क्रीडामय किकोल करते हैं तथा असंख्य पक्षी विशाल व्योम में उड़ते हुए मनोहरी कलरव करते हैं।
Ways of Being Ethnic in Southwest China (Harrell)
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Ways of Being Ethnic in Southwest China (Seattle and London: University of
Washington Press, c2001), by Stevan Harrell (PDF and EPub with commentary
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17 hours ago
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