यह एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि सृष्टि के समस्त जीवधारियों को अपने आस्तित्व की सरंक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ता है तथा अनुकूलीकरण द्वारा योग्यतम की उत्तरजीविता सुरक्षित हो जाती है। प्राकृतिक वरण का यह सिद्धान्त केवल पशु-पक्षियों पर ही नहीं, बल्कि मानव-जाति पर भी प्रभावी होता है। यद्यपि प्रकृति संतान-उत्पत्ति की प्रचुर क्षमता आदि देकर जीवन-रक्षा में सहायक होती है तथापि मनुष्य जिजीविषा एवं इच्छा शक्ति से ही अस्तित्व-रक्षा के संघर्ष में सफल होता है।
मनुष्यों में अपने व्यक्तिगत अस्तित्व की संरक्षा करने के अतिरिक्त प्रजाति-परिरक्षण की सहज प्रवृति भी होती है किन्तु आधुनिक युग की यांत्रिक सभ्यता ने 'प्रगतिवादी' मनुष्य को संवेदनहीन बनाकर ऐसी जडता उत्पन्न कर दी है कि वह असभ्य आदिम मानव की अपेक्षा भी कहीं अधिक बर्बर और क्रूर होकर न केवल मानव-जाति का ही, बल्कि समस्त प्राणिजगत् का विध्वंस करने के लिए ज्ञान और विज्ञान का दुरुपयोग कर रहा है। निश्चय ही कुछ थोड़े से मदोद्धत राजनेताओं को लाखों वर्षों के घोर संघर्ष द्वारा विकसित मानव-जीवन एवं सभ्यता को विनष्ट कर देने का अधिकार नहीं दिया जा सकता।
धन्य हैं वे लोग जो जीवन की भव्यता एवं गरिमा को समझकर तथा रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाकर, सत्य,प्रेम करुणा ओर न्याय की प्रस्थापना द्वारा सृष्टि की श्रीवृद्धि एवं जीवन-धारा के परिरक्षण में समर्पित भावना से जुटे हुए हैं। जीवन सृष्टि की शोभा है तथा जीवन-सम्पदा की संरक्षा एवं पोषण करना मानव का पावन कर्त्तव्य है। बुद्धिमाण्डित मानव विकास-क्रम के चरमोत्कर्ष का प्रतीक है तथा उसका उच्चतम दायित्व, स्वार्थ और पर्मार्थ जीवन का परिरक्षण करना है। जीवन का पोषण एवं परिरक्षण सर्वोच्च धर्म है तथा उसका पोषण एवं विनाश घोर अधर्म है। मनुष्य की समस्त मान्यताओं, मूल्यों और नैतिकता की कसौटी जीवन का सम्मान है।
मनुष्य अपनी प्रच्छन शक्तियों के उद्दीपन से आन्तरिक ऊर्जा को विकसित कर सकता है तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अधिकतम उन्नति कर सकता है। प्रत्येक मनुष्य में अपरिमेय मानसिक शक्तियाँ होती हैं जो प्रायः दबी हुई पड़ी रह जाती हैं। मनुष्य ईश्वरप्रदत्त आन्तरिक शक्तियों का सदुपयोग न करने के कारण दीन और दुःखी रहता है। मनुष्य आत्मनिर्देशन द्वारा अपनी प्रच्छन्न शक्तियों को जगाकर न केवल सुखी हो सकता है, बल्कि आन्तरिक ऊर्जा से अकल्पनीय कार्य भी कर सकता है। मनुष्य अपनी विलक्षण शक्तियों को खोजकर तथा उनका सदुपयोग करके चमत्कारपूर्ण कार्य कर सकता है।
A Concise History of the Commencement, Progress and Present Condition of the American Colonies in Liberia (Wilkeson)
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A Concise History of the Commencement, Progress and Present Condition of
the American Colonies in Liberia (Washington: Printed at the Madisonian
office, 18...
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