एक मेमना था। एक बार वह अपनी नानी के घर जाने के लिए निकला। रास्ते में उसे एक सियार मिला। सियार ने मेमने से कहा, "मैं तो तुझे खा लेता हूं।"
मेमना बोला:
नानी के घर जाने दो।
मोटा-ताजा बनने दो।
फिर खाना चाहो,खा लेना।
सियार ने कहा, "अच्छी बात है।"
मेमना कुछ ही दूर गया कि रास्ते में उसे एक गिद्ध मिला।
गिद्ध ने कहा, "मैं तो तुझे खा लेता हूं।"
मेमना बोला:
नानी के घर जाने दो।
मोटा-ताजा बनने दो।
फिर खाना चाहो,खा लेना।
गिद्ध ने कहा, "अच्छी बात है।"
मेमना आगे बढ़ा। रास्ते में उसे एक बाघ मिला।
बाघ ने कहा, "मैं तुझे खा लेता हूं।"
मेमना बोला:
नानी के घर जाने दो।
मोटा-ताजा बनने दो।
फिर खाना चाहो,खा लेना।
बाघ ने कहा, "अच्छी बात है।"
मेमना आगे बढ़ा, तो उसे रास्ते में भेड़िया, गरुड़, कुत्ता आदि कई जानवर मिले। मेमने ने सबको एक ही बात कही:
नानी के घर जाने दो।
मोटा-ताजा बनने दो।
फिर खाना चाहो,खा लेना।
इस तरह सबसे बचता हुआ वह अपनी नानी के पास पहुंचा, और उससे नानी से कहा, "नानीजी! मुझको खूब खिलाओ-पिलाओ। मैंने जानवरों को वचन दिया है, इसलिए वे सब मुझे खा जाने वाले हैं।"
मेमने ने खूब खाया, खूब पीया और वह मोटा-ताजा बन गया। फिर मेमने ने अपनी नानी से से कहा, "नानीजी! मेरे लिए चमड़े का एक ढोल बनवा दो। मैं उसमें बैठकर जाऊंगा,तो कोई मुझे पहचानेगा नहीं और इसलिए कोई मुझको खायेगा भी नहीं।"
नानी ने मेमने के लिए एक अच्छा-सा ढोल बनवा दिया। ढोल के अन्दर बढ़िया रूई बिछा दी। फिर मेमना ढोल के अन्दर बैठ गया। ढोल को एक जोर का धक्का मारा तो वह लुढ़कता-लुढ़कता चल पड़ा।
रास्ते में गरुड़ मिला। गरुड़ पूछा, "भैया! मेमने को देखा है?"
ढोल के अन्दर बैठा मेमना बोला:
कौन-सा मेमना? कौन हो तुम?
चल रे ढोल, ढमाक ढुम।
यों जवाब देता-देता मेमना बहुत दूर निकल गया। अन्त में सियार मिला। सियार ने पूछा, "कहीं मेमने को देखा है?"
अन्दर से मेमना बोला:
कौन-सा मेमना? कौन हो तुम?
चल रे ढोल, ढमाक ढुम।
सियार ने सोचा, "अरे, लगता है कि मेमना तो इसके अन्दर बैठा है। चलूं इस ढोल को फोड़ डालूं और मेमने को खा लूं।" लेकिन इसी बीच मेमने का घर आ गया, और मेमना अपने घर में घुस गया।
सियार दरवाजे के पास खड़ा-खड़ा देखता रह गया।
Valley of Wild Horses (Grey)
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Valley of Wild Horses (New York: Grosset and Dunlap, c1927), by Zane Grey
(multiple formats at archive.org)
2 hours ago
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