एकबार की बात है। सूरज, जवा, पानी और किसान के बीच अचानक तनातनी हो गई। बात बड़ी नहीं थी, छोटी-सी थी कि उनमें बड़ा कौन् है ? सूरज ने अपने को बड़ा बताया तो हवा ने अपने को, पानी और किसान भी पीछे न रहे। उन्होंने अपने बड़े होने का दावा किया। आखिर तिल का ताड़ बन गया। खूब बहस करने पर भी जब वे किसी नतीजे पर न पहुंचे तो चारों ने तय किया कि वक कल से कोई काम नहीं करेंगे। देखें, किसके बिना दुनिया का काम रुकता है।
पशु-पक्षियों को जब यह मालूम हुआ तो वे दौड़े आये। उनहेंने उनके मेल का रास्ता खोजने का प्रयत्न किया, पर उन्हें सफलता नहीं मिली।
दूसरे दिन सूरज नहीं निकला, हवा ने चलना बंद कर दिया, पानी सूख गया और किसान हाथ-पर-हाथ रखकर बैठ गया। चारों ओर हाहकार मच गया। लोग प्रार्थना करने लगे किवे अपना-अपना काम करें; लेकिन वे टस-से-मस न हुए। अपनी आप पर डटे रहे। लोग हैरान होकर चुप हो गये। पर दुनिया का काम रुका नहीं। जहां मुर्गा नहीं बोलता, वहां क्या सवेरा नहीं होता ?
चारों बड़े ही कमेरे थे खाली बैठे तो उन्हें थोड़ी ही देर में घबराहट होने लगी। समय काटना भारी हो गया। उनका अभिमान गलने लगा। अखिर बड़ा कौन है ? छोटा कौन है? सबके अपने-अपने काम हैं। बड़ा कोई आन से नहीं, काम से होता है।
सबसे ज्यादा छटपटाहट हुई सूरज को। अपने ताप से स्वयं जलने लगा। उसने अपनी किरणें बिखेरनी शुरू कर दीं। निकम्मे बैठे होने से हवा कर दम घुटने लगा तो वह भी चल पड़ी। इसी तरह पानी और किसान भी अपने-अपने काम में लग गये।
वे अच्छी तरह समझ गये कि संसार में न कोई छोटा है, न कोई बड़ा है। सब समान हैं। छोटे-बड़े का भेद तो ऊपरी है।□
Virgo Triumphans (Williams)
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Virgo Triumphans: or, Virginia Richly and Truly Valued, More Especially the
South Part Therof, viz. the Fertile Carolana, and no Lesse Excellent Isle
of Ro...
13 hours ago
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